5G तकनीक क्या है ?

5G तकनीक क्या है ?

5G टेक्नोलॉजी, सेल्युलर नेटवर्क की पांचवीं पीढ़ी है। इसके इस्तेमाल से सारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को  तेज गति और कम विलंबता के साथ सभी को एक साथ जोड़ने के लिए विकसित किया जा रहा है।

सेलुलर नेटवर्क के पिछली पीढ़ी 1G , 2G , 3G एवं 4G LTE सारे दुनियाँ भर के लोगों को एक दूसरे से जोड़ने में एकदम सफल रहा। हालाँकि, जैसे-जैसे इंटरनेट टेक्नॉलजी का विकास हुआ वैसे-वैसे हमें तेज इंटरनेट स्पीड एवं उच्च बैंडविड्थ की आवश्यकता हुई। आज हमें हाई डेफिनिशन वीडियो स्ट्रीमिंग एवं ऑनलाइन गेमिंग जैसी नई विकसित तकनीकों के लिए बहुत तेज़ इंटरनेट और बैंडविड्थ की आवश्यकता है।

5G इंटरनेट टेक्नोलॉजी हमें कम विलंब के साथ-साथ उच्च डाउनलोड एवं अपलोड स्पीड प्रदान करती है। 5G इंटरनेट हमें सारे एलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों एवं IOT Devices को रियल टाइम में एक दूसरे से डाटा का आदान-प्रदान करने में मदद करेगी। 5G प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से स्वचालित कार, क्लाउड गेमिंग और रिमोट सर्जरी संभव हो पायेगी। 

5G इंटरनेट में मिलीमीटर तरंग का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह 3G एवं 4G के मुकाबले 10 से 20 गुना अधिक तेज़ होगा। 5G, वायरलेस डिवाइस को कनेक्ट करने के लिए लगभग 28 GHz पर वेरी हाई-फ़्रीक्वेंसी (VHF) बैंड का उपयोग करेगा। आमतौर पर, उपग्रह भी इस बैंड का उपयोग बेस-स्टेशनों के बीच डेटा स्थानांतरित करने के लिए करते हैं।

5G टेक्नोलॉजी के पास मानव संप्रदाय को देने के लिए काफी उच्च बैंडविड्थ एवं अपलोड-डाउनलोड गति है। इसका इस्तेमाल करके 20GB /सेकंड तक का उच्त्तम गति प्राप्त किया जा सकता है हालाँकि,  अभी तक 33 विकसित देशों जैसे चीन, अमेरीका और दुबई में 5G तकनीक का इस्तेमाल करके उच्तम 1.5GB/sec तक का इंटरनेट सर्विस शुरू किया गया है।

आपको यह पता होगा, जैसे-जैसे कोई तरंग की आवृति बढ़ती है उस तरंग की रेंज घटती जाती है। 4G LTE में 2.1 GHz आवृति का ऊपयोग किया जाता है, जिसमे सिग्नल में क्षीणन कम होता है। इसमें प्रत्येक सेल टावर से लगभग 20W रेडियो सिग्नल प्रसारित किया जाता है जो आसानी से 10 से 15 किलोमीटर की परिधि में सारे सेलुलर उपकरणों को आपस में जोड़ सकते थे।

5G इंटरनेट टेक्नोलॉजी में वेरी हाई-फ़्रीक्वेंसी (VHF) बैंड का उपयोग किया  जाता है जो बिल्डिंग, गाड़िओ और बाधाएं के माध्यम से अच्छी तरह से यात्रा नहीं कर सकती हैं। पेड़-पौधों द्वारा भी 5G के सिगनल को आसानी से अवशोषित किया जा सकता है। बारिश और बादल भी 5G सेलुलर सिग्नल को कमजोर कर सकते हैं जो 5G इंटरनेट की गति को काफी प्रभावित करते हैं।  5G के इन समस्यों से निदान पाने के लिए सेल टावर को कम-कम दुरी पर लगाया जाता है।

मिलीमीटर तरंग को 5G टेक्नोलॉजी में इस्तेमाल करते समय इन्हीं खामियों को  स्मार्ट तरीके से प्रबंधित करना होगा। 5G में मल्टीप्ल इनपुट मल्टीप्ल आउटपुट (MIMO) तकनीक का इस्तेमाल किया जायेगा ताकि 5G से उच्तम डाटा ट्रांसफर गति को प्राप्त किया जा सके। इसमें यह भी योजना है की सिग्नल को चारों दिशाओं में बराबर फैलाने के बजाय किसी एक विशेष दिशा में फोकस किया जाए जिधर 5G उपकरण ज्यादा इस्तेमाल में है।

इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के वेरी हाई-फ़्रीक्वेंसी (VHF) बैंड के उपयोग के कारण 5G वायरलेस तकनीक से पर्यावरण एवं हमारे स्वास्थ का भय लगना जाहिर सी बात हैं हालाँकि, मिलीमीटर-वेव के कारण कोई बड़ी समस्या नहीं है क्योंकि यह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम में आयनकारी बैंड का हिस्सा नहीं है। कई स्मार्टफोन कंपनियां पहले ही 5जी स्मार्टफोन लॉन्च कर चुकी हैं और बाजार में भी उपलब्ध हैं।